Wednesday, 22 January 2020

स्मृतियाँ

आज भी कभी कभी कुछ बोलते हुए रुक जाती हूँ ...कुछ करते हुए अटक जाती हूँ ...यूँ लगता है कि पीछे से अभी कोई टोक देगा ...कहेगा ऐसे नहीं कहते या फिर इसे यूँ करो ...सीख लो बेटा काम आएगा और चिर परिचित मुस्कान के साथ वो मीठा आश्वस्ति से भरा स्पर्श | कई बार ये भी होता है कि बच्चे कहते हैं आप बिलकुल ---- तरह लग रही हैं या वैसा ही बिहेव कर रही हैं ...पुराने परिचित कहते हैं बिलकुल ---- पर गयी हो और तब मै सोचती हूँ कि हाँ शायद ....मै बिलकुल उनके जैसी ही तो हूँ ....दरअसल हम सोचते हैं कि वो अब नहीं हैं पर ऐसा होता नहीं है ...वो कहीं नहीं जाते ...शायद जैसे हम उन्हें नहीं छोड़ पाते वैसे ही वो भी हमसे अलग नहीं हो पाते वर्ना जाने के बाद भी इतनी सजगता से महसूस कैसे होते ...कैसे हो पाते ...उनकी खुशबू खुद के भीतर से कैसे महसूस होती ....
ये एक बड़ी आश्वस्ति है कि तुम अब भी हो मेरे आस पास ....मेरे भीतर ....मेरे लिए हो ....जब भी मै उलझूं तुम रास्ता दिखा देती हो क्योंकि तब मै सोचती हूँ कि तुम होतीं तो क्या करतीं ...तुम होती तो कैसे हंसतीं ...तुम होती तो कैसी लगतीं और फिर धीरे धीरे मै भी वही सब करने लगती हूँ ...कभी कभी मै तुम्हारा वक्त जीती हूँ ...तुम्हारे दौर में जो कुछ होता था वो सब करती हूँ और तुम्हारी तरह ही अकेले होने पर किसी सोच में गुम धीर गंभीर ,तुम्हारी तरह ही कुछ करते हुए गुनगुनाते रहना और ठीक तुम्हारी तरह सबके सामने मुस्कुराहट लिए जिंदादिल होना ..ये सब करती हूँ ....करती क्या हूँ स्वतः होता चला जाता है .....आज एक दोस्त ने बातों बातों में तुम्हारा ज़िक्र किया और मै हँसते हँसते भीतर से फफक पडी .....कहाँ चली गयी हो तुम ?
पता है मुझे कि आज भी जहाँ कहीं होगी अपनी जिद्द से सबकी नाक में दम किये होगी क्योंकि जिद्दी भी तो बहुत थी न तुम ...कहीं किसी की छोटी सी ,नन्हीं सी ,प्यारी सी बेटी होगी तुम मुझे पता है पर अगले जन्म में भी तुम्हीं मेरी माँ बनना और आने वाले हर जन्म में भी क्योंकि तुम्हारी बेटी मै ही बनना चाहती हूँ कि कहते हैं बेटियाँ माओं सी होती हैं तो ये जिद्द है मेरी ...तुम मान लेना कि तुम्हारे बाद मैंने जिद्द करना छोड़ दिया है ..यकीन न हो तो आकर देख जाओ एक बार .....

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