जब छीन लिए जायेंगे आंखों से स्वप्न
जब हर सोच पर बंदिश होगी
जब उंगलियां की जायेंगी नियंत्रित
और जब शब्दों को पाबंद किया जायेगा
उस रोज
ठीक उसी रोज मेरे दोस्त
पूरी ताकत से तुम चिल्लाना
इस महान देश की जय हो
भीड़ तालियाँ बजायेगी और खींच लेगी तुम्हें अपनी ओर
बिना ये जताये
कि तुम्हारी आजादी अब गिरवी हो चुकी है
राष्ट्रवाद के नाम।
जब हर सोच पर बंदिश होगी
जब उंगलियां की जायेंगी नियंत्रित
और जब शब्दों को पाबंद किया जायेगा
उस रोज
ठीक उसी रोज मेरे दोस्त
पूरी ताकत से तुम चिल्लाना
इस महान देश की जय हो
भीड़ तालियाँ बजायेगी और खींच लेगी तुम्हें अपनी ओर
बिना ये जताये
कि तुम्हारी आजादी अब गिरवी हो चुकी है
राष्ट्रवाद के नाम।
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