Tuesday, 21 January 2020

विनष्टि

वे शांति नहीं चाहते
वे प्रेम नहीं चाहते
भाईचारा भी नहीं ,
कि उन्हें जूनून पसंद है
हुकूमत पसंद है और गुलाम पसंद है ,
वे खौफ नहीं खाते सब कुचलने से जो नाफरमानियों में आता है
वे खौफ नहीं खाते उन्हें रौदने से जो शिकायतों में आता है
वे अच्छी -अच्छी बातें करते हैं और मुस्कान नोच लेते हैं
वे पुरखों का सहारा लेते हैं और जंगल को रेत देते हैं
उनकी जिद्द है महकमो पर नकेल कसो
उनका स्वामी भाव कि जुबानो को कसकर पकड़ो ,
उन्हें मनमानियों की आदत है
उनके अहम् को इसी से राहत है ,
वे आंसू और दुःख देख नहीं पाते
वे सुकून और सुख देख नहीं पाते
और एक पूरे देश को अँधा बहरा बना घुटनों पर खडा कर देते हैं अपने प्रशस्ति गान का संकेत देते हैं
आह्ह्ह .....ये कैसा दुर्भाग्य ,
क्या ही अच्छा होता
कि हम अपनी चित्रकारियों में
प्रेम,संवेदना,मुस्कान,तसल्लीऔर खिलखिलाहटें उकेरते
और ईश्वर उनमे जान फूंक देता |

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