Wednesday 22 January 2020

इश्क का अकेलापन

अरसे बाद कभी-कभी तलवों में रेत की नमी पसरती है और मन को नमक कर देती है ...यूँ ही चलते चलते समंदर भी सीने में उतर जाता है और रूह को नमक कर देता है ... जब रातें लम्बी हों तो अमलतासों का पीला गुच्छा साँसों की गाँठ हो जाए और घाटियों की गूँज भी कि जो देर तक उसकी थाह बने ....यूँ न भी हो तो जिस एक वक्त जबरदस्ती ज़ब्त किया हुआ कोई और कुछ ज्यादा जीवंत हो तो संयम की सारी कोशिशें उपजाऊ मिटटी हो जाती हैं ...सूरज मुखी की तरह तकलीफ उगती हैं और धूप की हरारत सी करवटों को बेचैन कर देती हैं ...एक वक्त का सुख हलके पीलेपन की वो सुन्दर आकृति है जो खुद की ही देह को गुमशुदा कर देती है...उस पर हलके स्पर्श से मीठी पीड़ा की छाप छोडती है और ठीक उसी वक्त का दुःख जालियों के पीछे की वो दो गहरी तीखी आँखें हैं कि जिनमे डूबकर जिन्दगी किनारे की छोटी पहाडी की सहमी संकुचित बर्फ हो जाती है जिस पर किसी का ध्यान नहीं जाता और जिस पर कोई कभी मोहित नहीं होता पर वो जस का तस रहता है ...बेपरवाह और कभी न पिघलने वाला ....उनींदी आँखों में पलते सपनो के बीच एक गीत गहराता है ..चाँद सी महबूबा हो मेरी कब ऐसा मैंने सोचा था ...हाँ तुम बिलकुल वैसी हो जैसा मैंने सोचा था ...तब यूँ लगता है मानो एक सीने की आग दुसरे के साँसों को ख़ाक किये जा रही है .....इन्हीं दिनों में कभी आंगन का एकाकीपन मन को सालता रहा था तो कभी कुछ पन्नो ने कुछ नज़्म सहेजे थे ...आज वो स्मृतियों का एक मज़बूत हिस्सा है |
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सांवलापन पुरकशिश है ...इश्क के लिए सबसे मुफीद और सबसे सच्चा क्योंकि इश्क कभी गोरा नहीं हो सकता ...इश्क में तपना पड़ता है ...इतना कि चूल्हे में जो आग बची रह जाती है उसे भी अगर मुट्ठियों में भर भर जो देह पर पोतें तो राहत सी लगे ...एक शिकायत ये है कि हमारे दरमियाँ एक चुप रही ...एक हासिल ये कि लम्हों के कुछ लम्स रहे पर एक सुकून ये भी कि उन दोनों में ही इश्क रहा ...कि साथी वो सब सपना था तेरा मेरा यूँ मिल जाना पर ये कितना मनमोहक है तेरा मुझमे ही घुल जाना ....कईयों के लिए कल किसी उम्मीद का नाम नहीं तो कईयों के लिए कल हर रोज की पीड़ा का नयापन है ....किसी किसी के हिस्से ये दोनों आता है ...एक साथ ....कभी कभी पीड़ा कुछ शब्द रचती है ....वक्त उनको इकठ्ठा करता है और आंसू उसको सुव्यवस्थित करते हैं .......
आज फिर तेरा ज़िक्र
तेरी खुशबू
तेरी याद आई ,
आज फिर मेरी रूह
मेरा जिस्म
मेरी चुप रोई |
कि इश्क का अकेलापन दुनिया की सबसे खूबसूरत शय है और इसके लिए तुम्हें शुक्रिया ..........|

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