Wednesday, 22 January 2020

मृत्यु

मृत्यु जब चाहे चली आती कहीं भी
मृत्यु क्योंकर पर चली आती कहीं भी ,
तिरस्कारी तुम नहीं स्वागत तुम्हारा
जाओ चुपकर सो रहो
कि हम खफा हैं ,
छीन लेती तुम सदा हमसे
किसी को
अब न आना
ठन गई है ...।

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