तेरा तसव्वुर है आज भी उस जमीन को ,
जहां से कोई कभी न गुजरा तेरे सिवा ...
जहां से कोई कभी न गुजरा तेरे सिवा ...
और वही है रस्ता वही फलक है वही महक
वही हैं गलियां वही खमोशी वही लहक ...
वही हैं गलियां वही खमोशी वही लहक ...
कि वहीं दरख्तों के बीच सूनी मजार है
और वहीं कहीं है कोई गुमशुदा तलाश भी .
और वहीं कहीं है कोई गुमशुदा तलाश भी .
जो पा सको गर तो ढूंढ लो तुम
फिर उसको साथी।
फिर उसको साथी।
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