कई दफे,
स्मृतियों को खंरोचने पर भी नहीं निकलता रस
नहीं निकलती किसी भी घटना की कोई ऐसी मधुर स्मृति जो एक बूंद छलका सके
या कृतज्ञ कर सके,
नहीं निकलती किसी भी घटना की कोई ऐसी मधुर स्मृति जो एक बूंद छलका सके
या कृतज्ञ कर सके,
कई दफे,
कोई अघटनीय एक साधारण घटना ही रहती है
नहीं रहता है उसमें कोई कचोट जो भीतर तक मथ दे
या फिर केवल टीसे रह रहकर,
नहीं रहता है उसमें कोई कचोट जो भीतर तक मथ दे
या फिर केवल टीसे रह रहकर,
कई दफे,
कोई मृत्यु इतनी तटस्थ होती है कि नहीं कर पाती है स्तब्ध
या फिर विचलित
कि होती है निकृष्टता की हद तक सुकून ,
या फिर विचलित
कि होती है निकृष्टता की हद तक सुकून ,
किसी किसी का जाना एक दिन का गुजर जाना होता है
बस।
बस।
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