प्रेम
शहद की बूँद
कि जैसे सर्दी वाली धूप
सरसों की सी मस्ती और
बरगद वाली छाँव
नन्हीं गौरया के बसते जिस पर नन्हें पाँव
ऊँगली पर उंगली कसती
और रस्ता देते खेत
दरिया जैसे बेचैनी से खुद को करता रेत
पीली सी सलवार कमीज़
मीठी सी अंगडाई
छत से जो फिसली तो पी के आंखन ठौर समाई
छन छन करती हवा उतरती सीने में कुछ ऐसे
कुछ महुआ कुछ यौवन रस का हुआ हो संगम जैसे
मिटटी भी चंदन सी लागे पोतें भर भर देह
आँखों से जल छलके जिसमे घुला मिला हो नेह
जगे सहज अनुराग
कि जैसे शीत ऋतू की आग
मेहंदी वाला रंग लिए और कच्चा सोंधा राग
दो कदमो की पूरी धडकन
आंचल की उधडी सी तुरपन
हंसी ठिठोली करते करते छू लें मन का कोर
नज़र नज़र में पूरा पढ़ लें एक दूजे का चोर
और प्रेम का रस फिर पीयें छककर एक दूजे के साथ
बरगद के पीछे छुप जाएँ हाथ में डाले हाथ
कि प्रेम चखें मीरा हो जाएँ या हो जाएँ श्याम
या फिर हों जाएँ शिव जैसे कभी न हों पर राम ,
शहद की बूँद
कि जैसे सर्दी वाली धूप
सरसों की सी मस्ती और
बरगद वाली छाँव
नन्हीं गौरया के बसते जिस पर नन्हें पाँव
ऊँगली पर उंगली कसती
और रस्ता देते खेत
दरिया जैसे बेचैनी से खुद को करता रेत
पीली सी सलवार कमीज़
मीठी सी अंगडाई
छत से जो फिसली तो पी के आंखन ठौर समाई
छन छन करती हवा उतरती सीने में कुछ ऐसे
कुछ महुआ कुछ यौवन रस का हुआ हो संगम जैसे
मिटटी भी चंदन सी लागे पोतें भर भर देह
आँखों से जल छलके जिसमे घुला मिला हो नेह
जगे सहज अनुराग
कि जैसे शीत ऋतू की आग
मेहंदी वाला रंग लिए और कच्चा सोंधा राग
दो कदमो की पूरी धडकन
आंचल की उधडी सी तुरपन
हंसी ठिठोली करते करते छू लें मन का कोर
नज़र नज़र में पूरा पढ़ लें एक दूजे का चोर
और प्रेम का रस फिर पीयें छककर एक दूजे के साथ
बरगद के पीछे छुप जाएँ हाथ में डाले हाथ
कि प्रेम चखें मीरा हो जाएँ या हो जाएँ श्याम
या फिर हों जाएँ शिव जैसे कभी न हों पर राम ,
प्रेम बसंती चादर झिलमिल
प्रेम गीत एकांत
प्रेम सुनहरा छाप तिलक
प्रेम सिंदूरी भाव फलक
प्रेम कि जैसे तानपुरे पर टीस सुनाये रात
प्रेम कि जैसे भटके वन वन नींद में आदम जात |
प्रेम गीत एकांत
प्रेम सुनहरा छाप तिलक
प्रेम सिंदूरी भाव फलक
प्रेम कि जैसे तानपुरे पर टीस सुनाये रात
प्रेम कि जैसे भटके वन वन नींद में आदम जात |
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