Tuesday, 21 January 2020

स्मृति----आँख का जल

स्मृति ----- आँख का जल
दृष्टि में धुंध सीने पर बादल
अंतस कि जैसे रसोई का चूल्हा
बटुली में अदहन
छौंकाता मन
और पीतर की कलछुल
घोंट घोंट जिसको पीये ये देह ,
फुदकता बचपन डपटती माँ
झूठ मूठ का गुस्सा
सचमुच का प्यार लाड -दुलार
चपत खूब मीठी
खूब मीठा गुड
कपडे की गुडिया गुड्डे से शादी
खीर - पूरी कटहल की सब्जी
चरपाई का मंडप साड़ी का शामियाना
कि बरसे जो मेह ,
कपड़ों की खुशबू शरारे का शाटन
गोटे की तुरपन
खट्टे कचालू पनीर पराग चावल की कचरी
देशी घी का हलवा
आंगन की तुलसी चांदी का दिया
कि लछमी जी आओ गिरहस्थी सजाओ
बक्से में खूब सहेजी है मन्नत
माथे पर चुम्बन और ढेर ढेर नेह ,
स्मृति ----- आँख का जल |

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