इस समय तुम जा रही थीं
सदा को
और हम ठहरे हुये थे
आंसुओं को रेत कर,
सदा को
और हम ठहरे हुये थे
आंसुओं को रेत कर,
वक्त की सुई पकड
कसकर खड़े थे
मन ही मन जिदद पर अडे थे
हम लडे थे ,
कसकर खड़े थे
मन ही मन जिदद पर अडे थे
हम लडे थे ,
फिर भी तुमने तय किया जाना यहाँ से
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ठीक है फिर,
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ठीक है फिर,
सोख्ता कागज सी हो हर रात मेरी
और गुलाबों सा सुसज्जित दिन तुम्हारा।
और गुलाबों सा सुसज्जित दिन तुम्हारा।
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