Tuesday 21 January 2020

बेचारी लड़कियां

बेड़ियां सख्त और सलाखें दुरुस्त करें घरों की
दहलीजों पर कीलें ठुकवा दें
खिडकियां दरवाजे काले परदों से ढकवा दें
वर्जित कर दें धूप और हवा का अंदर आना
वर्जित कर दें सख्ती से उनका चहकना मुस्कराना
मीठे स्वरों मे गुनगुनाना
पायल वाले पावों का हौले हौले थिरकना
घर को खुशियों से भरना
बता दें उन्हें
कि ये उनका सलीका नहीं
कि ये उनके हिस्से का हक नहीं,
उनके इंकार पर
तोड़ सकते हैं आप उनके पैरों की हड्डियाँ
नोच सकते हैं उनके उंगलियों के नाखून
फेंक सकते हैं उनके चेहरे पर तेज़ाब
उनका सीना क्षत विक्षत कर सकते हैं
उनके जिस्म में काँटे भर सकते हैं
कि आप पुरूष हैं
और सिखा सकते हैं उन्हें
कि वे सिर्फ उनके लिए हैं
उनकी सुविधा उनकी वासना के लिए हैं
और कुछ नहीं
और कुछ भी नहीं हैं इसके अतिरिक्त
बेचारी लडकियां।

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