आँखन भर भर पीर समेटा
कलम सिझाकर छिड़क दिए फिर
सम्मेआसमां
कलम सिझाकर छिड़क दिए फिर
सम्मेआसमां
गुलमोहर के रंग पिराकर
अमलतास की बूटी से
और पंखों को उनवान सजाकर
दीद कि खातिर पलक उमेडा
अमलतास की बूटी से
और पंखों को उनवान सजाकर
दीद कि खातिर पलक उमेडा
आया जब उफान तब मौसम दहला जैसे
बारिश फूट पडी और फिर बिखरी धरती पर
बजने लगा सितार कहीं बिखरा सुर साधे
रुदन सी आवाज़ कलेजा जो धर बांधे
बारिश फूट पडी और फिर बिखरी धरती पर
बजने लगा सितार कहीं बिखरा सुर साधे
रुदन सी आवाज़ कलेजा जो धर बांधे
कि प्रेम न करियो कोई
पिया जी
प्रेम न करियो कोई
प्रेम बड़ा नासाज़ |
पिया जी
प्रेम न करियो कोई
प्रेम बड़ा नासाज़ |
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