मृत्यु
केवल धूप
भर मुट्ठी
छिपी जाकर किसी कोने
अंधेरों ने जहाँ इसको छुपाया,
केवल धूप
भर मुट्ठी
छिपी जाकर किसी कोने
अंधेरों ने जहाँ इसको छुपाया,
मृत्यु पर लोबान भी
चंदन सी भी
बिखरे है जैसे आत्मा में
सुगंध सी
उस फूल सी भी
जो अभी शाखों से बस तोड़ा गया है।
चंदन सी भी
बिखरे है जैसे आत्मा में
सुगंध सी
उस फूल सी भी
जो अभी शाखों से बस तोड़ा गया है।
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