Tuesday 21 January 2020

निश्चित ही

निश्चित ही वो एक बेहतरीन दुनिया होगी
जहाँ तुम हो
कुछ बेहतरीन लोग भी होंगे जहाँ तुम हो
कि कुछ तो जरूर होगा अलौकिक
जो तुम्हें इस कदर बांधे हुए है कि तुम फिर लौट ही नहीं सकी हम तक
तुम्हारा इन्जार वक्त की सूली हो गया ,
बावजूद इसके ये जो लगातार होती बारिशों के बीच हलकी धुंध है न
लगता है वो तुम हो
रात के सन्नाटे में पत्तों की जो मद्धिम सरगोशी है
वो भी लगता है तुम हो
तुम्हीं लगती हो मुझे कि जो मेरे ठीक सामने अशोक के पेड़ पर आकर
हर सुबह बैठ जाती हो
बैठी रहती हो ....कुछ पलों के लिए उडती हो पर फिर वापस आ जाती हो
एक छोटी सी पीली सफ़ेद चिड़िया
कि इतनी बारिश में भी जब उसके पंखों में कम्पन भर गयी है
वो ठिठुर रही है पर बैठी है
लगता है कि ये तुम्हीं हो
तुम्हीं हो सकती हो ,
तुम थीं तो हमारी आँखों में सपनो का संसार गढ़ती थीं
तुम थीं तो हमारी हथेलियों पर अपने अरमान रचती थीं
तुम थीं तो क्षितिज को हमारे आंगन ला दिया था
और जब तुम थीं तो हमारे हर यकीन को मुस्कान का संबल दिया था,
तुम्हीं अब भी हमारी नींदों को मध्हिम आंच देती हो
अपने आंचल में हर आंसू हर पीड़ा थाम लेती हो
हमारी उलझनों को अब भी सही आयाम देती हो
तुम्हीं से सीखा सबकुछ दोहराती हूँ बस
तुम्हारा हर कहा अब मान जाती हूँ बस ,
तुम्हारा जाना एक ऐसी घटना है जो अस्वीकार्य के लौह से निर्मित हुयी
जो बाद में अग्नि सी प्रतिपल घटी
और जो पूरी उम्र तक के लिए असीम वेदनाओं के रिसाव की झड़ी बनी
एक ऐसी घटना भी जिसने तुम्हारे अपनों को जीवन का भीषणतम सच सौंपा
कठोरता से उन्हें खूब जांचा परखा
फिर ह्रदयहीन हो उछालकर जीने के लिए छोड़ दिया ,
क्या तुम देख पाती हो ये सब
सह पाती हो
आखिर तुम कैसे जा सकीं
कहो तो
???

No comments:

Post a Comment